एक परिपथ जिसका प्रतिरोध $R$ है उसमें लगने वाला चुम्बकीय फ्लक्स $\Delta \phi, \Delta t$ समय में बदल जाता है तो परिपथ में बनने वाला कुल आवेश $Q , \Delta t$ समय में है:
[2004]
Download our app for free and get started
$ \therefore \frac{\Delta \phi}{\Delta t }= e = iR$
$\Rightarrow \Delta \phi=( i \Delta t ) R = Q \cdot R$
$Q =\frac{\Delta \phi}{ R } $
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
एक चालक वृताकार पाश ( लूप) को किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $B=.025 T$ है और इसका तल पाश के लम्बवत् है। पाश की त्रिज्या को $1 mm s ^{-1}$ की स्थिर दर से सिकुड़ने दिया जाता है। पाश की त्रिज्या 2 सेमी होने पर उसमें प्रेरिज विद्युत वाहक बल (e.m.f.) है
एक आयताकार कुण्डली का क्षेत्रफल 25 सेमी $^2$, प्रतिरोध $100 \Omega$ तथा फेरों की संख्या 20 है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत् हो तथा 1000 टेसला/सेकण्ड की दर से बदलता हो तो धारा का मान है
तार का एक पाश (लूप) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करता है तो एक परिक्रमण (चक्र) में इसमें प्रेरित ई.एम. एफ. (e.m.f.) की दिशा में परिवर्तन की आवृत्ति होती है:
एक कुण्डली जिसमें 50 फेरे हैं एक चुम्बकीय क्षेत्र $2 \times$ $10^{-2} T$ के लम्बवत् रखी जाती है। कुण्डली का क्षेत्रफल 100 सेमी $^2$ है। इसमे उत्पन्न प्रेरक वि.वा.ब. $0.1 V$ है। कुण्डली को 1 सेकण्ड में चुम्बकीय क्षेत्र से हटा दिया जाता है तो $t$ का मान है