यदि किसी परिनालिका में प्रति एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या दोगुनी कर दी जाए तो उसका स्व-प्रेरण गुणांक होगा
[1991]
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(d) परिनालिका का स्वप्ररेण, $L =\frac{\mu_0 n ^2 A }{1}$
$L \propto n ^2, n$ दोगुना करने पर $L$ चार गुणा हो जाएगा
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    दो कुण्डलियों के स्वप्रेरण $2 mH$ तथा $8 mH$ हैं। दोनों को इतना नजदीक रखा गया कि पहली कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी से भी लिंक हो सके। तो इनके बीच अन्तः प्रेरण है :
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