$H$-अणु की निम्न स्तर ऊर्जा $13.6 eV$ हैं। बताइये $H$-अणु को दूसरी उत्तेजित अवस्था में लाने के लिए कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होगी?
[1991]
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(a) $n=3$
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\therefore \quad E =\frac{13.6}{3^2} eV =1.51 eV
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हाइड्रोजन परमाणु की लाइमन श्रेणी की प्रथम लाईन की तरंगदैर्ध्य, किसी हाइड्रोजन के समान आयन की बामर श्रेणी की द्वितीय लाईन के बराबर है, तब हाइड्रोजन के समान आयन की परमाणु संख्या $Z$ होगी:
किसी हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन, पहले तृतीय उत्तेजित अवस्था से द्वितीय उत्तेजित अवस्था में, और फिर द्वितीय उत्तेजित अवस्था से प्रथम उत्तेजित अवस्था में संक्रमण करता है। इन दो दशाओं में उत्सर्जित तरंगदैध्य्यो का अनुपात $\lambda_1: \lambda_2$ होगा :
किसी हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित अवस्था $n$ से न्यूनतम ऊर्जा स्थिति में संक्रमण करता है (कूदता) है। इससे विकिरित तरंगदैर्ध्य का प्रकाश एक ऐसे प्रकाशसंवेदी पदार्थ को प्रदीप्त करता है जिसका कार्यफलन $2.75 eV$ है। यदि प्रकाश विद्युत इलेक्ट्रॉनों का निरोधी (अंतक) विभव $10 V$ है तो $n$ का मान होगा:
हाइड्रोजन के बोर मॉडल मे अभिकेन्द्र बल तथा प्रोटॉन व इलैक्ट्रॉन के बीच लगने वाला कूलॉम बल एक दूसरे को संतुलित करते हैं। यदि $a_0$ निम्न स्तर की कक्षा की त्रिज्या, $m$ इलैक्ट्रान का द्रव्यमान, $e$ आवेश तथा $\varepsilon_0$ विद्युतशीलता हो तो इलैक्ट्रान का वेग