वियना सम्मेलन- नेपोलियन की पराजय के बाद 1815 में वियना में एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें आस्ट्रिया, प्रशा, इंग्लैण्ड, रूस आदि देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन की मेजबानी आस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मेटरनिख ने की।
वियना सन्धि- वियना सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने 1815 की वियना-सन्धि तैयार की। इस सन्धि के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित थे-
फ्रांस की क्रान्ति के दौरान हटाए गए बर्बो वंश की सत्ता को पुनर्स्थापित किया गया।
फ्रांस को उन प्रदेशों से वंचित कर दिया गया जिन पर नेपोलियन ने अधिकार कर लिया था।
फ्रांस की सीमाओं पर अनेक राज्यों की स्थापना की गई ताकि भविष्य में फ्रांस अपने साम्राज्य का विस्तार न कर सके। उत्तर में नीदरलैण्ड्स का राज्य स्थापित किया गया जिसमें बेल्जियम शामिल था। दक्षिण में पीडमांट में जेनोआ मिला दिया गया।
प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमाओं पर महत्त्वपूर्ण नये प्रदेश दिए गए।
आस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियन्त्रण सौंपा गया।
नेपोलियन ने 39 राज्यों का जो जर्मन महासंघ स्थापित किया था, उसे बनाए रखा गया।
पूर्व में रूस को पोलैण्ड का एक हिस्सा दिया गया, जबकि प्रशा को सैक्सनी का एक हिस्सा दिया गया।
वियना-सन्धि की व्यवस्थाओं का उद्देश्य-
वियना-सन्धि की व्यवस्थाओं का प्रमुख उद्देश्य उन राजतन्त्रों की पुनर्स्थापना करना था जिन्हें नेपोलियन ने बर्खास्त कर दिया था।
दूसरा प्रमुख उद्देश्य यूरोप में एक नई रूढ़िवादी व्यवस्था स्थापित करना भी था।