काँच के किसी पतले प्रिज्म का कोण $15^{\circ}$ है और उसका अपवर्तनांक $\mu_1=1.5$ है। इसका $\mu_2=1.75$ अपवर्तनांक के किसी अन्य प्रिज्म से संयुक्त किया गया है। इनसे बने प्रिज्मों के संयोजन से विचलन बिना परिक्षेपण प्राप्त होता है। तो दूसरे प्रिज्म का कोण होना चाहिये:
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विक्षेप $=$ शून्य
अत: $\delta=\delta_1+\delta_2=0$
$\Rightarrow\left(\mu_1-1\right) A_1+\left(\mu_2-1\right) A_2=0$
$\Rightarrow A_2(1.75-1)=-(1.5-1) 15^{\circ} $
$ \Rightarrow A _2=-\frac{0.5}{0.75} \times 15^{\circ}$
$or A _2=-10^{\circ}$
ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि दूसरा प्रिज्म प्रथम के उल्टे दिशा में है।
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प्रकाश की एक किरण, किसी प्रिज्म जिसका कोण $A$ है के एक फलक पर $i$ कोण पर आपत्तित होती है तथा उसके विपरीत फलक से उसके लम्बवत् निर्गत होती है। यदि प्रिज्म का अपवर्तनांक $\mu$ है तो, आपतन कोण $i$ का मान लगभग बराबर है :
किसी द्रव से भरे एक बीकर के तल पर एक लघु सिक्का रखा गया है। चित्र के अनुसार एक प्रकाश किरण सिक्के से आरम्भ होकर द्रव के ऊपरी तल तक पहुँच कर तल के समांतर चलती है।
इस द्रव में प्रकाश चलन का वेग कितना होगा?
एक दूरदर्शी यंत्र का आवर्धन क्षमता $9$ है। जब इसे समान्तर किरणों के लिए समायोजित किया जाता है तब इसके अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच की दूरी $20 \ cm$ होती है। इन लेंसों की फोकस दूरियाँ क्रमश होगी:
एक प्रिज्म का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा आपतन कोण $30^{\circ}$ है। एक समतल को पोलिश कर दिया गया। एक वर्णी प्रकाश तरंग अपने पथ को वापस पार करती है यदि आपतन कोण का मान होगा :
दो माध्यमों $M_1$ और $M_2$ में प्रकाश की चाल क्रमशः $1.5 \times 10^8 m / s$ और $2.0 \times 10^8 m / s$ है। प्रकाश की एक किरण माध्यम $M_1$ से $M_2$ में $i$ आपतन कोण पर प्रवेश करती है। यदि इस किरण का पूर्ण आतंरिक परावर्तन हो जाता है तो, ' $i$ ' का मान है