किसी प्रिज्म का कोण $A$ है। इस प्रिन्म के एक अपवर्तक फलक को रजतित कर परावर्तक बना दिया गया है, इसके पृष्ठ पर, $2 A$ कोण पर आपतित प्रकाश की किरणें, रजतित फलक से परावर्तन के पश्चात् अपने मार्ग पर वापस आ जाती हैं। प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $\mu$ होगा
[2014]
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प्रश्नानुसार निम्न किरण रेखाचित्र परिवर्तन करेगा।
$ \angle MON =90- A ^{\circ}$
$\angle r =90-90+ A ^{\circ}= A ^{\circ} $
स्नेल के नियम से, $\frac{\sin i}{\sin r}=\mu$
चित्र से,
$ \angle i =2 A $
$\angle r = A$
$\mu=\frac{\sin 2 A }{\sin A }$
$=\frac{2 \sin A \cos A }{\sin A }$
$\mu=2 \cos A $
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एक विद्युत चुम्बकीय तरंगों की आवृत्ति, $n$ तथा तरंग दैर्ध्य $\lambda$ है । यह हवा में $v$ वेग से चलता हुआ $\mu$ अपवर्तनांक वाले काँच में जाता है। कांच में इसकी आवृत्ति, तरंगदैधर्य तथा वेग ज्ञात करो
प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा इसका अपवर्तन कोण $30^{\circ}$ है। प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठों में से किसी एक पृष्ठ को अन्दर की ओर दर्पणनुमा बनाया जाता है। दूसरे पृष्ठ पर आपतित एकवर्णी प्रकाश पुँज दर्पण से परावर्तित होकर अपने ही मार्ग से वापिस लौट आएगा यदि प्रिज्म पर आपतन कोण है:
किसी खगोलीय दूरबीन के अभिदृश्यक और नेत्रिका की फोक्स दूरियां कमश: $40$ से.मी. और $4$ से.मी. हैं। अभिदृश्यक से $200$ से.मी. दूर स्थित किसी बिम्ब को देखने के लिए दोनों लेंसों के बीच की दूरी होनी चाडिए:
$60^{\circ}$ के किसी प्रिज्म पर प्रकाश की एक किरण अल्पतम् विचलन की स्थिति पर आपतित होती है। पहले पाश्र्व (फलक) पर (अर्थात् आपतन पाश्र्व पर) अपवर्तन कोण है
एक लेंस, प्रकाश स्रोत्र तथा दीवार के बीच रखा है। यह लेंस के दो भिन्न स्थितियों दीवार पर $A _1$ तथा $A _2$ क्षेत्रफल के दो प्रतिबिम्ब बनाता है। प्रकाश स्रोत्र का क्षेत्रफल होगा
एक दूरदर्शी यंत्र का आवर्धन क्षमता $9$ है। जब इसे समान्तर किरणों के लिए समायोजित किया जाता है तब इसके अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच की दूरी $20 \ cm$ होती है। इन लेंसों की फोकस दूरियाँ क्रमश होगी: