कम दाब पर गैसों में विद्युत विसर्जन के प्रक्रम में टयूब में रंगदार चमक उत्पन्न होने का कारण होता है:
[2008]
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(a) नली में रंगीन चमक परमाणुओं के इलेक्ट्रानों की उतेजना के कारण होती है।
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इस चित्र में एक प्रकाश सुक्रीय तल पर तीन विभिन्न विकिरणों के लिये प्रकाशीय धारा और ऐनोड विभव के बीच आरेखों को दिखाया गया है। निम्न कथनों में से किस को यथार्थ माना जायेगा?
जब किसी धात्विक पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $\lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाता है, तो निरोधी विभव $V$ है। यदि इसी पृप्ठ को तरंगदैर्ध्य $2 \lambda$ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाए, तो निरोधी विभव $\frac{ V }{4}$ हो जाता है। इस धात्विक पृप्ट की देइली तरंगदैर्ध्य है :
एक मिलीग्राम द्रव्यमान का एक गतिशील कण उतना ही तरंगदैर्ध्य रखता है जितना की $3 \times 10^6\ ms ^{-1}$ चाल से चलने वाला इलेक्ट्रॉन। कण की चाल होगी:
$($इलैक्ट्रान का द्रव्यमान $=9.1 \times 10^{-31} \ kg )$
दो भिन्न आवृत्तियों के प्रकाश जिनके फोटॉन की ऊर्जा क्रमश: $1\ eV$ और $2.5\ eV$ है, किसी ऐसे धातु पृष्ठ को एक के बाद एक प्रदीप्त करते हैं जिसका कार्य फलन $0.5\ eV$ है, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम चालों का अनुपात होगा:
5 वाट का एक स्त्रोत $5000 A$ तरंगदैध्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। $0.5$ मी की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्त्रोत को तल से $1.0$ मी की दूरी पर ले जाया जायेगा तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
क्रमशः $1 eV$ तथा $2.5 eV$ ऊर्जा के फोटॉन विकिरण एक के बाद एक किसी प्रकाश सुग्राही (संवेदी) पृष्ठ को प्रदीप्त करते हैं। इस पृष्ठ का कार्य फलन $0.5 eV$ है। इन दोनों में उत्सार्जित इलेक्ट्रॉनो की अधिकतम चालों का अनुपात होगा :