नेपाल की अर्थव्यवस्था का आधार कृपि, पशुपालन, खनन और उधोग हैं।
कृषि-नेपाल के 18% भूभाग पर खेती होती है । मुख्य खाद्यान्नों में चावल, मक्का और गेहूँ, ज्वार-बजरा आदि हैं । व्यापारिक फसलों में जूट, गन्ना, फल, तम्बाकू चाय तथा कपास मुख्य हैं। देश के कुल कृपि उत्पादन का 70% भाग अकेले पूर्वी तराई प्रदेश से आता है । काठमाण्डू घाटी में सघन कृपि होती है जिसमें चावल तथा फल और सब्जी की कृषि मुख्य है।
प्रायः पूरे नेपाल में भेड़, बकरियाँ बहुतायत से पाली जाती हैं। ये सभी वहाँ की अर्थ व्यवस्था में सहयोग प्रदान करते हैं।
खनन-नेपाल में खनिजों का अभाव है। अभ्रक यहाँ का मुख्य खनिज है। अल्प मात्रा में लिग्नाइट, ताँबा, कोबाल्ट आदि मिलते हैं। शक्ति के साधन के रूप में भारत के सहयोग से देती घाट जल विद्युत परियोजना चालू की गयी है ।
उद्योग-औद्योगिक दृष्टि से नेपाल एक पिछड़ा देश है। यहाँ बड़े उद्योगों के स्थापित होने वाले कारकों का अभाव है । यहाँ कृषि एवं वन पर आधारित उद्योगों का विकास किया जा रहा है । यहाँ पर सूतीवस्त्र. चीनी, जूट, चमड़ा, वनस्पति तेल, तम्बाकू, दियासलाई, कागज तथा लुग्दी इत्यादि का निर्माण होता है । यहाँ सीमेंट तथा कृषि उपकरण भी बनाए जा रहे हैं।
पर्यटन-यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य, धार्मिक स्थल तथा पर्वतारोहण सैलानियों को आकर्षित करते हैं। अतः यहाँ पर्यटन उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है।
व्यापार-नेपाल के व्यापार खनन एवं उद्योग में हो रही वृद्धि के कारण नेपाल के विदेश व्यापार और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा हैं । यहाँ का व्यापार मुख्यतः भारत, बंगलादेश, चीन तथा भूटान क साथ होता है । यहाँ से सूती वस्त्र, खाद्य पदार्थ तथा जड़ी-बूटी का निर्यात किया जाता है।
विराटनगर में जूट, चीनी, दियासलाई, प्लाईउड, आदि बनते हैं। विराटनगर नेपाल का एकमात्र औद्योगिक नगर है, जहाँ पचासों उद्योग . स्थापित हैं।