भौतिक परिवर्तन जैसे-ताप, दाब, pH में परिवर्तन तथा लवण या रासायनिक कारकों की उपस्थिति में प्रोटीन की प्राकृतिक संरचना में परिवर्तन होना प्रोटीन का विकृतिकरण कहलाता है। विभिन्न परिवर्तनों के कारण हाइड्रोजन आबंधों में अव्यवस्था उत्पन्न होने के कारण प्रोटीन अणु नियमित तथा विशेष आकृति से, अकुंडलित होकर अधिक टेढ़ी-मेढ़ी आकृति में परिवर्तित हो जाते हैं। विकृतिकरण के कारण प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता खो देते हैं। विकृतिकरण की प्रक्रिया अनुत्क्रमणीय होती है।
उदाहरण-अण्डे को उबालने पर अंडे की सफेदी में परिवर्तन होना।