प्रथम विश्वयुद्ध ने भारत के औद्योगिक विकास को बहुत बढ़ावा दिया। ब्रिटिश कारखाने सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए युद्ध सम्बन्धी उत्पादन में व्यस्त थे। इसलिए भारत में मैनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया। परिणामस्वरूप भारतीय बाजारों को एक विशाल देशी बाजार मिल गया। युद्ध लम्बा खिंच जाने से भारतीय कारखानों में भी सेना के लिए जूट की बोरियाँ, सैनिकों के लिए वर्दी के कपड़े, टेंट तथा चमड़े के जूते, घोड़ों व खच्चरों की जीन तथा अनेक प्रकार के सामान बनने लगे। इनके निर्माण के लिए अनेक नये कारखाने लगाए गए तथा पुराने कारखाने कई पारियों में चलने लगे। कारखानों में मजदूरों को बड़ी संख्या में काम पर रखा गया और प्रत्येक को पहले से भी अधिक समय तक काम करना पड़ता था। अतः युद्ध के दौरान औद्योगिक उत्पादन तेजी से बढ़ा।