संकुचन के दौरान हृदय के भीतर स्थित कपाट रुधिर को वापस विपरीत दिशा में बहने से रोकते हैं। दोनों निलयों के मध्य तथा उनसे संबंधित रुधिर वाहिनियों में उपस्थित अर्द्धचन्द्राकार कपाट निलयों की तथा उनसे संबंधित रुधिर वाहिनियों में रुधिर को वापस विपरीत दिशा में बहने से रोकते हैं। इसी प्रकार, अलिन्द तथा निलय के मध्य उपस्थित कपाट रुधिर के प्रवाह को निंयत्रित करते हैं तथा आलिंद में रुधिर को वापस बहने से रोकते हैं। इस तरह हृदय कुशलता पूर्वक अपना कार्य कर पता है।