एक अच्छा लोकतांत्रिक शासन वह है जिसमें समाज के विभिन्न समूहों के ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को राजनीतिक सत्ता में भागीदार बनाया जाये। इसे बेल्जियम और श्रीलंका के जनतांत्रिक स्वरूपों के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) बेल्जियम में जातीय समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी-बेल्जियम में विभिन्न भाषायी समुदायों (59% डच भाषा-भाषी, 40% फ्रेंच भाषा-भाषी तथा 1% जर्मन भाषा-भाषी समुदायों) के बीच सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के तहत निम्नलिखित संवैधानिक प्रावधान किये गए हैं-
केन्द्र सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं जव दोनों भाषायी समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो। इस प्रकार किसी समुदाय के लोग एकतरफा फैसला नहीं कर सकते।
संविधान द्वारा केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों के सुपुर्द कर दी गई हैं।
राजधानी क्षेत्र ब्रुसेल्स में दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।
(2) श्रीलंका की जनतंत्रीय व्यवस्था-श्रीलंका में सिंहली, तमिल तथा मुसलमान जातियाँ पाई जाती हैं। 1956 में कानून के द्वारा तमिल को हटाकर सिंहली को श्रीलंका की राजभाषा घोषित कर दिया गया। यहाँ विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में अन्य समुदायों की उपेक्षा करते हुए सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई है।
श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी में बहुसंख्यक सिंहली समुदाय अल्पसंख्यक समुदायों पर प्रभुत्व कायम करने के लिए उन्हें सत्ता में हिस्सेदार नहीं बनाता है। इसका परिणाम वहाँ सिंहलियों और तमिलों में टकराव हुआ जो गृहयुद्ध में परिणत हुआ।