ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवा विवाह के पक्ष में प्राचीन ग्रन्थों का उद्धरण देते हुए सुझाव दिया कि विधवाएँ फिर से विवाह कर सकती हैं। उनके सुझावों को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा स्वीकार कर लिया गया तथा इस सम्बन्ध में सन् 1856 में एक कानून पारित किया गया जो विधवा विवाह की अनुमति देता था।