(1) रूढ़िवादी हिन्दू समाज ने उत्तर में सनातन धर्म-सभाओं तथा भारत धर्म महामण्डल और बंगाल में ब्राह्मण सभा जैसे संगठनों के जरिए इन आन्दोलनों का सख्ती से विरोध किया।
(2) इन संगठनों का उद्देश्य था कि हिन्दू धर्म में जातीय ऊँच-नीच को जो महत्त्व दिया जाता है उस पर कोई आँच न आए।
(3) उन्होंने धार्मिक ग्रन्थों के प्रमाणों के आधार पर जाति व्यवस्था का समर्थन किया।