उपनिवेशवाद को बढ़ावा-व्यापार की वृद्धि तथा विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया। व्यापार की वृद्धि और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता के परिणामस्वरूप अनेक देशों में स्वतन्त्रता तथा आजीविका के साधन छिनने लगे।
1. साम्राज्यवादी देशों द्वारा अफ्रीका में अपने उपनिवेश स्थापित करना-यूरोप के शक्तिशाली देशों ने अफ्रीकी देशों की दुर्बलता तथा पिछड़ेपन का लाभ उठाया और वहाँ अपने-अपने उपनिवेश स्थापित करने शुरू कर दिए। 1885 में यूरोप के शक्तिशाली देशों की बर्लिन में एक सभा हुई जिसमें उन्होंने अफ्रीका को आपस में बाँट लिया।
2. औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा औपनिवेशिक साम्राज्य का विस्तार करना-उन्नीसवीं सदी के अन्त में ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने शासन वाले विदेशी क्षेत्रफल में भारी वृद्धि कर ली थी। बेल्जियम तथा जर्मनी नवीन औपनिवेशिक शक्तियों के रूप में प्रकट हुए। 1890 के दशक के अन्तिम वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी स्पेन के आधिपत्य में रह चुके कुछ उपनिवेशों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक औपनिवेशिक शक्ति बन गया।