भारत से अनबन्धित श्रमिकों का विदेशों में ले जाया जाना- उन्नीसवीं शताब्दी में भारत के लाखों मजदूरों को बागानों, खदानों और सड़क तथा रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए विदेशों विशेषकर कैरीबियाई द्वीप समूह, मॉरिशस तथा फिजी में ले जाया जाता था। भारतीय अनुबन्धित श्रमिकों को विशेष प्रकार के अनुबन्ध या एग्रीमेंट के अन्तर्गत ले जाया जाता था। इन अनुबन्धों में यह शर्त होती थी कि यदि मजदूर अपने मालिक के बागानों में पांच वर्ष तक काम कर लेगा, तो वे स्वदेश लौट सकते हैं।
अनुबन्धित श्रमिकों के दूसरे देशों में जाने के कारण- भारत के अधिकतर अनुबन्धित मजदूर वर्तमान पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य भारत तथा तमिलनाडु के सूखे क्षेत्रों से जाते थे। उनके विदेशों में जाने के निम्नलिखित कारण थे-
इन प्रदेशों में कुटीर उद्योग समाप्त हो रहे थे।
जमीनों का भाड़ा बहुत बढ़ गया था।
खानों और बागानों के लिए जमीनों को साफ किया जा रहा था। लोग बटाई पर जमीन तो ले लेते थे, परन्तु उसका भाड़ा चुकाने में असमर्थ थे।
उन पर कर्जा बढ़ने लगा। अतः काम की तलाश में उन्हें अपना घर-बार छोड़ कर दूसरे देशों में जाना पड़ा।