अठारहवीं शताब्दी में हुए आविष्कारों ने उत्पादन प्रक्रिया के हर चरण की कुशलता बढ़ा दी। इसकी पुष्टि निम्नलिखित तथ्यों से होती है-
इन आविष्कारों से प्रत्येक मजदूर अधिक उत्पादन करने लगा। अब पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत धागों व रेशों का उत्पादन होने लगा। स्पिनिंग जेनी के आविष्कार से एकसाथ सूत के आठ धागे काते जा सकते थे।
1769 में रिचर्ड आर्कराइट ने 'वाटरफ्रेम' नामक सूत कातने की मशीन का आविष्कार किया। इसने भावी कारखाना पद्धति को जन्म दिया।
अब नई मशीनों द्वारा कारखानों में उत्पादन की समस्त प्रक्रियाएँ एक ही छत के नीचे और एक ही स्वामी के हाथों में आ गईं, फलस्वरूप उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता तथा मजदूरों पर निगरानी रखना सम्भव हो गया। परन्तु जब तक गाँवों में उत्पादन होता रहा, तब तक यह सब सम्भव नहीं था।