(अ) 19वीं शताब्दी में राजनीतिक क्षेत्र में उदारवादी स्वरूप-
सार्वजनिक मताधिकार पर आधारित जनप्रतिनिधि सभाओं के निर्माण पर बल।
संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की स्वतंत्रता पर आधारित राष्ट्रीय राज्यों की माँग।
महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने की माँग।
(ब) आर्थिक क्षेत्रों में व्याप्त उदारवादी स्वरूप-
उदारवादियों ने भू-दास और बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने की माँग की।
उदारवादी निजी सम्पत्ति के स्वामित्व को अनिवार्य बना देना चाहते थे।
वस्तुओं और पूँजी के आयात-निर्यात पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणों को समाप्त करने पर बल।