इस कानून की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह कानून जमीन और संसाधनों पर वन्य समुदायों के अधिकारों को मान्यता न देने के कारण उनके साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए पारित किया गया है।
प्रमुख प्रावधान- (1) इस कानून में वन्य समुदायों को घरके आस-पास जमीन, खेती और चराई योग्य जमीन और गैर-लकड़ी वन उत्पादों पर उनके अधिकार को मान्यता दी गई है।
(2) इस कानून में यह भी कहा गया है कि वन एवं जैव विविधता संरक्षण भी वनवासियों के अधिकारों में आता है।