संवैधानिक रूप से आदिवासियों की जमीन को किसी गैर-आदिवासी व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता। लेकिन विभिन्न प्रदेशों की सरकारें आदिवासियों के इस संवैधानिक कानून का उल्लंघन कर रही हैं। ये सरकारें लकड़ी व्यापार, पेपर मिल आदि के नाम पर गैर-आदिवासी घुसपैठियों को जनजातीय जमीनों का दोहन करने और आदिवासियों को उनके परम्परागत जंगलों से विस्थापित करने की छूट देती हैं। इसके अतिरिक्त जंगलों को आरक्षित या अभयारण्य घोषित करके भी उन्हें वहाँ से बेदखल किया जा रहा है।