स्वतंत्रता के बाद भारत में तेजी से औद्योगीकरण और शहरीकरण हुआ है। उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। उद्योगों को अत्यधिक जल के अलावा उनको चलाने के लिए ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है और इसकी काफी हद तक पूर्ति जल-विद्युत से होती है। वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग 22 प्रतिशत भाग जल-विद्युत से प्राप्त होता है।
इसके अलावा शहरों की बढ़ती संख्या और जनसंख्या वृद्धि तथा शहरी जीवनशैली के कारण न केवल जल और ऊर्जा की आवश्यकता में बढ़ोतरी हुई है अपितु इनसे सम्बन्धित समस्याएँ और भी गहरी हुई हैं। शहरी आवास समितियों या कॉलोनियों में जल संसाधनों का अतिशोषण देखने को मिलता है।