बहुउद्देशीय परियोजनाओं और बड़े बाँधों ने अनेक नए सामाजिक आंदोलनों को जन्म दिया है। इनमें मुख्य हैं-'नर्मदा बचाओ आंदोलन' और 'टिहरी बाँध आंदोलन'। इन परियोजनाओं के विरोध तथा इनके विरुद्ध आन्दोलन के अनेक कारण हैं। इनका विरोध मुख्य रूप से स्थानीय समुदायों के वृहद स्तर पर विस्थापन के कारण है। इन परियोजनाओं के कारण आमतौर पर स्थानीय लोगों को उनकी जमीन, आजीविका और संसाधनों से लगाव एवं नियंत्रण देश की बेहतरी के लिए कुर्बान करना पड़ता है। जबकि इन स्थानीय लोगों को इन परियोजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पाता है। जमींदारों, बड़े किसानों, उद्योगपतियों तथा नगरीय केन्द्रों को इनका अधिक लाभ मिलता है। अतः पर्यावरणीय मुद्दों तथा बाँध से विस्थापित गरीब लोगों को सरकार से पुनर्वास सुविधाएँ दिलवाने हेतु इस प्रकार के नये सामाजिक आन्दोलन जन्म लेते हैं।