भारत में कृषि के राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और उत्पादन में योगदान का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है
(1) अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी होना-भारत में कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। यह देश की लगभग 52 प्रतिशत जनसंख्या के लिए रोजगार और आजीविका का साधन है। कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में घटता अंश गंभीर चिन्ता का विषय है।
(2) कृषि का आधुनिकीकरण-कृषि के महत्व को देखते हुए भारत सरकार ने कृषि के आधुनिकीकरण के लिए भरसक प्रयास किए हैं। भारतीय कृषि में सुधार के लिए भारतीय कृषि, अनुसंधान परिषद् व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ और पशु प्रजनन केन्द्र की स्थापना, बागवानी विकास, मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को वरीयता प्रदान की गई है।
(3) कषि में घटता रोजगार एवं उत्पादन विगत वर्षों में देश में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है लेकिन इससे देश में पर्याप्त मात्रा व रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। देश में वर्ष 2013-14 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 4.2 प्रतिशत था जो कि 2014-15 में -0.2 प्रतिशत तथा 2015-16 में 1.1 प्रतिशत अनुमानित था। वर्तमान समय में भारतीय किसान को अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ स्हा है तथा देश की सरकार कृषि सेक्टर में विशेष रूप से सिंचाई, ऊर्जा, ग्रामीण सड़कों, मंडियों और यंत्रीकरण में सार्वजनिक पूँजी के निवेश को कम करती जा रही है। रासायनिक खादों पर सब्सिडी कम करने से उत्पादन लागत में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा कृषि उत्पादों पर आयात कर घटाने से भी देश में कृषि पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है। किसान कृषि में पूँजी निवेश कम कर रहे हैं जिसके कारण कृषि में रोजगार कम हो रहे हैं। .