भारतीय कृषि को सक्षम और लाभदायक बनाने हेतु निम्न बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए-
भारतीय कृषि को सक्षम और लाभदायक बनाने हेतु सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारनी चाहिए।
'जननिक इंजीनियरी' द्वारा बीजों की नई संकर किस्मों का आविष्कार किया जाना चाहिए।
कार्बनिक कृषि को बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि यह उर्वरकों तथा कीटनाशकों जैसे-कारखानों में निर्मित रसायनों के बिना की जाती है। इसलिए पर्यावरण पर इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण घटते आकार के जोतों पर यदि खाद्यान्नों की खेती ही होती रही तो भारतीय किसानों का भविष्य अंधकारमय है। भारत में लगभग 83.3 करोड़ लोग लगभग 25 करोड़ हैक्टेयर भूमि पर निर्भर हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति के हिस्से में औसतन आधा हैक्टेयर से भी कम कृषि भूमि आती है।
भारतीय किसानों को शस्यावर्तन करना चाहिए और खाद्यान्नों के स्थान पर कीमती फसलें उगानी चाहिए। इससे आमदनी अधिक होगी और इसके साथ पर्यावरण निम्नीकरण में कमी आएगी।
फलों, औषधीय पौधों, बायो-डीजल फसलों (जटरोफा और जोजोबा), फूलों और सब्जियों को उगाने के लिए चावल या गन्ने में बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता है।
भारत में जलवायु विविधता का विभिन्न प्रकार की कीमती फसलें उगाने में उपयोग किया जाना चाहिए।