जल संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता भारत की छोटी नदियाँ जहरीली धाराओं में परिवर्तित हो गई हैं तथा बड़ी नदियाँ, यथा-गंगा और यमुना कोई भी शुद्ध नहीं हैं। बढ़ती जनसंख्या, कृषि, आधुनिकीकरण, नगरीकरण और औद्योगीकरण का भारत की नदियों पर अत्यधिक दुष्प्रभाव पड़ा है जो कि दिनों-दिन गहराता जा रहा है जिससे सम्पूर्ण जीवन खतरे में है। जल संसाधनों के अतिशोषण और कुप्रबंधन से इन संसाधनों का ह्रास हो सकता है तथा पारिस्थितिकी संकट की समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसका मानव के जीवन पर गंभीर प्रभाव हो सकता है। अत: जल संरक्षण और प्रबंधन वर्तमान समय में मानव की प्रमुख आवश्यकता है।