$C$ धारिता के एक संधारित्र को $V_1$ विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। फिर इसकी प्लेटों को एक $L$ प्रेरकत्व के एक आदर्श प्रेरक से जोड़ दिया गया है। जब संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर कम होकर $V_2$ हो जाय तो प्रेरक से बहने वाली धारा होगी?
[2010M]
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(a) $q=C V_1 \cos \omega t$
$ \Rightarrow \quad i=\frac{d q}{d t}=-\omega C v_1 \sin \omega t $
तथा, $\omega^2=\frac{1}{L C}$ और $V=V_1 \cos \omega t$
$t=t_1$ पर $V=V_2$ और $i=-\omega C V_1 \sin \omega t_1$
$\therefore \cos \omega t_1=\frac{V_2}{V_1}$ (-ऋणात्मक चिटन दिशा बताता है)
अत: $i=V_1 \sqrt{\frac{C}{L}}\left(1-\frac{V_2^2}{V_1^2}\right)^{1 / 2}$
$ =\left(\frac{C\left(V_1^2-V_2^2\right)}{L}\right)^{1 / 2} $
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