$C$ धारिता के एक संधारित्र को $V_1$ विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। फिर इसकी प्लेटों को एक $L$ प्रेरकत्व के एक आदर्श प्रेरक से जोड़ दिया गया है। जब संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर कम होकर $V_2$ हो जाय तो प्रेरक से बहने वाली धारा होगी?
[2010M]
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(a) $q=C V_1 \cos \omega t$
$
\Rightarrow \quad i=\frac{d q}{d t}=-\omega C v_1 \sin \omega t
$
तथा, $\omega^2=\frac{1}{L C}$ और $V=V_1 \cos \omega t$
$t=t_1$ पर $V=V_2$ और $i=-\omega C V_1 \sin \omega t_1$
$\therefore \cos \omega t_1=\frac{V_2}{V_1}$ (-ऋणात्मक चिटन दिशा बताता है)
अत: $i=V_1 \sqrt{\frac{C}{L}}\left(1-\frac{V_2^2}{V_1^2}\right)^{1 / 2}$
$
=\left(\frac{C\left(V_1^2-V_2^2\right)}{L}\right)^{1 / 2}
$
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दिये गये परिपथ में प्रेरण $L$ तथा संधारित्र $C$ के साथ $A _1$ तथा $A _2$ दो अमीटर जोड़े गये हैं। यदि कुंजी $K$ दबा दी जाए तो तुरन्त $A _1$ तथा $A _2$ का पाठ्यांक होगा:
किसी परिपथ में प्रत्यावर्ती विद्युत धारा तथा वोल्टता के तात्क्षणिक मानों को क्रमशं: निम्न प्रकार निरुपित किया जाता है:
$
i=\frac{1}{\sqrt{2}} \sin (100 \pi t) \text { एम्पियर }
$ तथा $e=\frac{1}{\sqrt{2}} \sin (100 \pi t+\pi / 3)$ वोल्ट
तो, इस परिपथ में क्षयित औसत शक्ति वॉट में होगी।
एक ट्रांसफार्मर के प्राथमिक और द्वितीयक कुण्डलियों में फेरों की संख्याएँ क्रमानुसार 50 और 1500 हैं। प्राथमिक कुण्डली से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स $\phi=\phi_0+4 t$, द्वारा व्यक्त होती है जबकि $\phi$ वेबर में है, समय $t$ सेकेण्ड में है और $\phi_0$ एक नियतांक है। द्वितीय कुण्डली से प्राप्त वोल्टता होगी-
एक विद्युत परिपथ में $R, L, C$ तथा एक ए. सी. वोल्टता स्त्रोत सभी श्रेणी क्रम में जुड़े हैं। परिपथ में से $L$ को हटा देने से वोल्टता तथा विद्युत धारा के बीच कलान्तर $\pi / 3$ हो जाता है, यदि इसके बजाय $C$ को परिपथ से हटा दिया जाये तो, यह कलान्तर फिर भी $\pi / 3$ रहता है। परिपथ का शक्ति गुणांक है :
एक कुंडली का स्व-प्रेरकत्व $L$ है। यह श्रेणी क्रम मे एक विद्युतबल्ब $B$ तथा एक ए.सी. (A.C.) स्रोत से जुड़ी है। इस बल्ब के प्रकाश की दीप्ति (तीव्रता) कम हो जायेगी, जब
किसी $ac$ परिपथ में एक प्रत्यावर्ती वोल्टता, $e =200 \sqrt{2}$ $\sin 100 t$ वोल्ट, को $1 \mu F$ धारिता के एक संधारित्र से जोड़ा गया है। इस परिपथ में विद्युत धारा का वर्ग-माध्य मूल मान होगा:
एक ट्रान्सफॉर्मर को $220 V$ का निवेश दिया गया है। निर्गत परिपथ में $440$ वोल्ट पर $2.0 A$ की धारा प्रवाहित होती है। यदि ट्रांन्सफॉमर की दक्षता $80 \%$ हो तो ट्रान्सफार्मर की प्राथमिक कुंडली द्वारा ली गई विद्युतधारा है