एक आवेशित कण पर आवेश का मान $-2 \mu C$ है। यह $y$ दिशा में क्रियाकारी $2 T$ के चुम्बकीय क्षेत्र में वेग $(2 \hat{ i }+3 \hat{ j }) \times 10^6 ms ^{-1}$ से चल रहा हो तो इस पर क्रियाकारी चुम्बकीय बल होगा:-
[2009]
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(d) आवेशित कण पर कार्यरत चुम्बकीय बल इस प्रकार दिया जाता है
$
\begin{aligned}
\overrightarrow{ F } & = q (\overrightarrow{ v } \times \overrightarrow{ B }) \\
& \left.=\left(-2 \times 10^{-6}\right)\left[\{2 \hat{ i }+3 \hat{ j }) \times 10^6\right\} \times(2 \hat{ j })\right] \\
& =-4(2 \hat{ k }) \\
& =-8 \hat{ k }
\end{aligned}
$
$\therefore 8 N$ का बल $z$-अक्ष की ओर कार्यरत है।
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एक सीधे तार में $1.2 A$ की धारा प्रवाहित होती है। इससे $0.5$ मीटर दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता $2 T$ है। चुम्बकीय क्षेत्र तार की लम्बाई के लम्बवत् है तो तार पर लगने वाला बल है
एक धारावाही परिनालिका अपने अक्ष के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र $B$ उत्पन्न करती है। यदि धारा दोगुनी तथा फेरों की संख्या प्रति सेमी आधी कर दी जाए तो नया चुम्बकीय क्षेत्र होगा$-$
एक तार का व्यास $0.5$ मिमी है। इसमें $1 A$ धारा प्रवाहित होती है। इसके एक दूसरे तार जिसका व्यास 1 मिमी है तथा इसमें भी $1 A$ धारा प्रवाहित होती है से बदल दिया जाता है। तो तार से कुछ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र तीव्रता होगी-
एक ड्यूट्रॉन एक दिये हुए चुम्बकीय क्षेत्र $B$ के लम्बवत् तल में $0.5$ मीटर वाले वृत्तीय पथ पर गति करता है। इसकी गतिज ऊर्जा $50 \ keV$ है। यदि इस वृतीय पथ पर तथा इसी चुम्बकीय क्षैत्र में प्रोट्रॉन गतिमय हो तो इसकी गतिज ऊर्जा होगी-
एक गैल्वेनोमीटर का प्रतिरोध $8 \Omega$ है। इसमें $2 \Omega$ का शण्ट प्रतिरोध लगाया गया। इसमें $1 A$ धारा प्रवाहित होती है तो बताओ शण्ट में कितनी धारा प्रवाहित होगी?
समकोण समद्विबाहु त्रिभुज के आकार के एक बन्द पाश $ABC$ में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इसे किसी एकसमान $AB$ दिशा के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। यदि भुजा $BC$ पर चुम्बकीय बल $\overrightarrow{ F }$ हो तब भुजा $AC$ पर बल होगा:
एक साइक्लोट्रान का उपयोग प्रोट्रोनों $($द्रव्यमान $=m )$ को त्वरित करने के लिये किया जा रहा है। इसके डीज $($त्रिज्या $R )$ पर $v$ आवृत्ति का एक प्रत्यावर्ती विद्युत क्षेत्र लगाया जाता है तो, साइक्लोट्रॉन में प्रयुक्त प्रचालन चुम्बकीय क्षेत्र $(B)$ तथा उत्पन्न प्रोटॉन किरणपुंज की गतिज ऊर्जा $(K)$ होगी :
एक $0.12 m$ लम्बी, $0.1 m$ चौड़ी कुंडली में तार के $50$ फेरे है इसको $0.2\ \text{weber / m} ^2$ के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में ऊर्ध्वाधर लटकाया गया है। कुंडली में $2 A$ विद्नुत धारा प्रवाहित हो रही है। यदि कुंडली, चुम्बकीय क्षेत्र से $30^{\circ}$ कोण बनाती है, तो इन्हें रोके रखने के लिए आवश्यक बल आघूर्ण का मान होगा: