एक चालक वृत्तीय फंद को $0.04 T$ के अचर चुम्बकीय क्षेत्र में इस तरह रखा है कि फंद का तल चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से लम्ब दिशा में है। फन्द् की त्रिज्या $2 mm / s$. की दर से घटने लगती है। जब फन्द की त्रिज्या $2 cm$ होगी तो इसमें प्रेरित वि.वा.ब. $( emf )$ का मान होगा:-
[2009]
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(d) लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल (e.m.f.), इस प्रकार दिया जाता है,
$
e =- B \cdot \frac{ dA }{ dt }
$
जहाँ $A$ लूप का क्षेत्रफल होता है।
$
\begin{aligned}
e & =- B \cdot \frac{ d }{ dt }\left(\pi r ^2\right)=- B \pi 2 r \frac{ dr }{ dt } \\
r & =2 cm =2 \times 10^{-2} m \\
dr & =2 mm =2 \times 10^{-3} m \\
dt & =1 s \\
e & =-0.04 \times 3.14 \times 2 \times 2 \times 10^{-2} \times \frac{2 \times 10^{-3}}{1} V \\
& =0.32 \pi \times 10^{-5} V \\
& =3.2 \pi \times 10^{-6} V \\
& =3.2 \pi \mu V
\end{aligned}
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किसी लम्बी परिनालिका में फेरों की संख्या $1000$ है। जब परिनालिका से $4 A$ धारा प्रवाहित होती है, तब इस परिनालिका के प्रत्येक फेरे से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स $4 \times 10^{-3} Wb$ है । इस परिनालिका का स्व$-$प्रेरकत्व है:
एक चालक वृताकार पाश ( लूप) को किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $B=.025 T$ है और इसका तल पाश के लम्बवत् है। पाश की त्रिज्या को $1 mm s ^{-1}$ की स्थिर दर से सिकुड़ने दिया जाता है। पाश की त्रिज्या 2 सेमी होने पर उसमें प्रेरिज विद्युत वाहक बल (e.m.f.) है
दो कुण्डलियों का अन्तः प्रेरण $0.005 H$ है। पहली कुण्डली में धारा $I = I _0 \sin \omega t$ से परिवर्तित होती है जहां $I _0=10 A$ तथा $\omega=100 \pi$ रेडियन/सेकंड तो उच्चतम वि. वा.ब. :