एक तरंग जो सरल आवर्तगति करती है उसका आवर्तकाल 4 सेकंड तथा दूसरी तरंग का आवर्तकाल 3 सेकंड है। यदि दोनों तरंगों का संयोजन कर दिया जाये तो इस नयी तरंग का आवर्तकाल क्या होगा-
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एक डोरी दो स्थिर बिन्दुओं के बीच खिची है। इन बिन्दुओं के बीच की दूरी $75.0 cm$ है। इस डोरी की दो अनुनाद आवृत्तियाँ $420 Hz$ तथा $315 Hz$ है। इन दोनो के बीच में कोई अन्य अनुनाद आवृत्ति नहीं है, तो इस डोरी के लिए न्यूनतम अनुनाद आवृत्ति है
एक आगामी तरंग $y =60 \cos (180 t -6 x )$ से प्रदर्शित होती है। जहां $y$ माइक्रॉन $t$ सेकंड व $x$ मीटर में है। अधिकतम कण वेग तथा तरंग वेग का अनुपात होगा$-$
दो डोरियों की लम्बाइयाँ $51.6 \ cm$ और $49.1 \ cm$ हैं और इनमें से प्रत्येक में पृथक$-$पृथक $20 N$ बल का तनाव कार्य करता है। दोनों डोरियों का प्रति मात्रक लम्बाई द्रव्यमान समान है और यह $1 g / m$. है। जब एक ही समय दोनों डोरियाँ साथ$-$साथ कम्पन करती हैं तो स्पन्दन संख्या होगी $:-$
एक कक्ष $A$ का रिभरवेरेशन काल एक सेकण्ड है। एक दूसरे कक्ष के सभी माप कक्ष $A$ की तुलना में दोगुने मान रखते हैं। इस दूसरे कक्ष का रिभरवेरेशन काल (सेकण्ड में) क्या होगा ?
एक बिन्दु स्रोत अवशोषण रहित माध्यम में सभी दिशाओं में समान रूप से ध्वनि उत्पन्न करता है। दो बिन्दु $P$ और $Q$ स्रोत से क्रमशः 2 मीटर तथा 3 मीटर दूरियों पर है। बिन्दुओं $P$ व $Q$ पर तंरगों की तीव्रताओं का अनुपात है:
$100 Hz$ आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न करता हुआ एक ध्वनि स्त्रोत $S$ तथा एक प्रेक्षक $O$, एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। यह ध्वनि स्त्रोत, $19.4 \ ms ^{-1}$ की चाल से चल रहा है। उसके चलने की दिशा, स्त्रोत तथा प्रेक्षक की रिथितियों को मिलाने वाली सरलरेखा से $60^{\circ}$ का कोण बनाती है $($आरेख देखिये$)$। यदि, प्रेक्षक अपनी रिथति पर ही रूका रहता है तो, प्रेक्षक द्वारा सुनी गई ध्वनि की आभासी आवृत्ति होगी (हवा में ध्वनि का वेग $\left.330 \ ms ^{-1}\right)$ :