असहयोग आन्दोलन - पंजाब में हुए अत्याचारों (जलियाँवाला हत्याकाण्ड) तथा खिलाफत के मामले में हुए अत्याचारों के विरुद्ध मिल कर अभियान चलाने तथा स्वराज की माँग हेतु महात्मा गाँधी ने 1920 में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आन्दोलन शुरू करने का निश्चय किया। यह आन्दोलन 'असहयोग आन्दोलन' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
आन्दोलन के दौरान की गतिविधियाँ- (1) शीघ्र ही असहयोग आन्दोलन पूरे देश में शुरू हो गया।
(2) 1921-22 के दौरान असहयोग आन्दोलन को और गति मिली। हजारों विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए।
(3) मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास, सी. राज-गोपालाचारी और आसफ अली जैसे बहुत सारे वकीलों ने वकालत छोड़ दी।
(4) अंग्रेजों द्वारा दी गई उपाधियों को वापस लौटा दिया गया और विधान मण्डलों का बहिष्कार किया गया।
(5) जगह-जगह लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई। 1920 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों के आयात में भारी गिरावट आ गई।
(6) स्वदेशी का व्यापक प्रचार हुआ। चरखे का काफी प्रचार हुआ और यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया।
आन्दोलन को स्थगित करना- जब यह आन्दोलन अपने चरम पर था तभी फरवरी, 1922 में चौरी-चौरा पुलिस थाने पर हुए हिंसक हमले की घटना से व्यथित होकर गाँधीजी ने अचानक असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया।