द्रव्यमान $m$ के इलेक्ट्रॉन तथा किसी फोटॉन की ऊर्जाएं $E$ एकसमान हैं। इनसे संबद्न दे$-$ब्बाग्ती तरंगदैर्घ्यों का अनुपात है :
$($यहाँ $c$ प्रकाश का वेग है।$)$
[2016]
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इलेक्ट्रॉन के लिए, दी$-$ब्रागली तरंगदैर्ध्य
$ \lambda_{ e }=\frac{ h }{\sqrt{2 mE }} $
फोटॉन के लिए $E=p c$
$ \Rightarrow \lambda_{ Ph }=\frac{ hc }{ E }$
$\therefore \frac{\lambda_{ e }}{\lambda_{ Ph }}=\frac{ h }{\sqrt{2 mE }} \times \frac{ E }{ hc }$
$=\left(\frac{ E }{2 m }\right)^{1 / 2} \frac{1}{ c } $
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एक लेसर द्वारा $6.0 \times 10^{14} Hz$ आवृत्ति का एकवर्णी प्रकाश पैदा किया जाता है। उत्सर्जित शक्ति $2 \times 10^{-3} W$ है। स्त्रोत से प्रति सेकेण्ड उत्सर्जित फोटानों की औसत संख्या होगी-
$0.25\ Wb / m ^2$ तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में एक $\alpha-$कण $0.83 \ cm$ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ में गति करता है तो, इस कण से सम्बद्ध दे $-$ ब्रॉग्ली तरंगदैध्ध्य होगी :
किसी इलेक्ट्रॉन के संवेग को $P$ से परिवर्तन करने पर उससे संबद्व दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य $0.5 \%$ परिवर्तित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन का प्रारंभिक संवेग होगा :
किसी धातु से प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी (अंतक) आवृत्ति $v$ है। यदि इस धातु पर $2 v$ आवृत्ति के विकिरण आपतित हों तो, उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम संभावित वेग होगा: ( $m$ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।)
एक मिलीग्राम द्रव्यमान का एक गतिशील कण उतना ही तरंगदैर्ध्य रखता है जितना की $3 \times 10^6\ ms ^{-1}$ चाल से चलने वाला इलेक्ट्रॉन। कण की चाल होगी:
$($इलैक्ट्रान का द्रव्यमान $=9.1 \times 10^{-31} \ kg )$