जब किसी व्यक्ति को सर्दी-जुकाम हो रहा होता है तो श्लेष्मा गाढ़ा होकर नासिका को अवरोधित कर देता है। इस कारण से गन्ध के कण घ्राण ग्राही अंग तक नहीं पहुँच सकते हैं। अतः, मस्तिष्क किसी विशेष गन्ध की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसे गन्ध के कोई संकेत प्राप्त नहीं होते हैं। इस प्रकार किसी व्यक्ति को सर्दी-जुकाम होने पर वह इत्र और अगरबत्ती की गन्ध में विभेद नहीं कर सकता है।