जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ-जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
जलोढ़ मृदा विस्तृत रूप से सम्पूर्ण उत्तरी भारत के मैदान में फैली हुई है।
जलोढ़ मृदाएँ हिमालय के तीन महत्त्वपूर्ण नदी तंत्रों यथा सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गये निक्षेपों से निर्मित हुई हैं।
जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाये जाते हैं।
आयु के आधार पर जलोढ़ मृदाएँ दो प्रकार की होती हैं-(i) पुराना जलोढ़ (बांगर) तथा (ii) नया जलोढ़ (खादर)।
जलोढ़ मृदाएँ बहुत उपजाऊ होती हैं। अधिकांशतः ये मृदाएँ पोटाश, फॉस्फोरस और चूनायुक्त होती हैं। .
अधिक उपजाऊ होने के कारण जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है और यहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अधिक पाया जाता है।
सूखे क्षेत्रों की जलोढ़ मृदाएँ अधिक क्षारीय होती हैं। सही उपचार और सिंचाई द्वारा इनकी पैदावार बढ़ाई जा सकती है।