संसाधन संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निम्न प्रयास किये गये-
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित तरीके से संसाधन संरक्षण की वकालत 1968 में क्लब ऑफ रोम ने की।
1974 में शुमेसर ने अपनी पुस्तक 'स्माल इज ब्यूटीफुल' में संसाधन संरक्षण पर गाँधीजी के दर्शन की एक बार फिर से पुनरावृत्ति की।
1987 में ब्रुन्ड्टलैंड आयोग रिपोर्ट द्वारा वैश्विक स्तर पर संसाधन संरक्षण में मूलाधार योगदान किया गया। इस रिपोर्ट ने सतत पोषणीय विकास (Sustainable Development) की संकल्पना प्रस्तुत की और संसाधन संरक्षण की वकालत की। यह रिपोर्ट बाद में हमारा सांझा भविष्य (Our Common Future) शीर्षक से पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई।
पर्यावरण संरक्षण हेतु रियो डी जेनेरो, ब्राजील में 1992 में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में सतत पोषणीय विकास हेतु एजेंडा 21 को स्वीकृति प्रदान की गई।