किसी नत-समतल का कोण $\theta$ है। उसका ऊपरी आधा भाग पूर्णतः चिकना है तथा निचला आधा भाग खुरदरा है। इस नत-समतल के ऊपरी सिरे से एक ब्लॉक (गुटका) नीचे की ओर फिसलता है। यदि गुटका प्रारंभ में विराम स्थिति में था तो, फिसलते हुए, वह नत-समतल की तली पर फिर से विराम अवस्था में आ जायेगी जब गुटके और नत समतल के नीचे आधे भाग के बीच घर्षण गुणांक का मान हो:
[2013]
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(b)
झुके हुए तल के ऊपरी अर्द्ध भाग के लिए
$
v ^2= u ^2+2 aS / 2=2( g \sin \theta) S / 2= gS \sin \theta
$ झुके हुए तल के निचले अर्द्ध भाग के लिए
$
\begin{aligned}
& 0= u ^2+2 g (\sin \theta-\mu \cos \theta) S / 2 \\
& \Rightarrow- gS \sin \theta= gS (\sin \theta-\mu \cos \theta) \\
& \Rightarrow 2 \sin \theta=\mu \cos \theta \\
& \Rightarrow \mu=\frac{2 \sin \theta}{\cos \theta}=2 \tan \theta
\end{aligned}
$
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दो पत्थरों के द्रव्यमान $m$ तथा $2 m$ है, भारी पत्थर को $\frac{ r }{2}$ त्रिज्या के तथा हल्के पत्थर को $r$ त्रिज्या के वृताकार क्षैतिज पथों में घुमाया जाता है। जब ये पत्थर एक समान अभिकेन्द्रीय बल अनुभव करते है, तब हल्के पत्थर का रेखीय वेग भारी पत्थर के रेखीय वेग का $n$ गुना है $n$ का मान है:
एक ऊर्ध्वाधर स्प्रिंग के निचले सिरे पर $M$ द्रव्यमान का एक पिण्ड बंधा है। स्प्रिंग एक छत से लटका है तथा उसके बल नियतांक का मान $k$ है। जब पिंड को मुक्त छोड़ा गया तो यह विराम अवस्था में था और स्प्रिंग बिना खिंचाव था। स्प्रिंग की लम्बाई में अधिकतम वृद्धि होगी:-
$m$ द्रव्यमान की एक कार, $R$ त्रिज्या के किसी वृत्ताकार समतल पथ पर गति कर रही है। यदि सड़क तथा कार के टायरों के बीच स्थैतिक घर्षण $\mu_s$ हो तो, वृत्तीय गति में कार की अधिकतम चाल होगी :
5 किग्रा का एक पिण्ड रखा हुआ है जो तीन टुकड़ों में $1: 1: 3$ के द्रव्यमानों के अनुपात में टूटता है। समान द्रव्यमान वाले पिण्ड एक दूसरे के लम्बवत् 21 मी/सेकंड से चलते है। सबसे भारी पिण्ड का वेग होगा-