ABCD एक आयताकार कुण्डली है, जो किसी स्थायी चुम्बक के दो ध्रुवों के बीच रखी है। कुण्डली इस प्रकार रखी गई है कि धारा की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है।
दो अर्द्धभाग P तथा Q हैं। भुजा AB अर्द्धभाग P से तथा भुजा CD अर्द्धभाग Q से संयोजित है।
विद्युत मोटर की क्रियाविधि-
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम का पालन करते हुए, जब धारा A से B की ओर गुजरती है; कुण्डली की भुजा AB नीचे की ओर गति करती है। इसके विपरीत, जब धारा C से D की ओर गुजरती है; भुजा CD ऊपर की ओर गति करती है। जब कुण्डली आधा घूर्णन कर लेती है, तो P का सम्पर्क Y से तथा Q का सम्पर्क X से होता है। इसके फलस्वरूप कुण्डली में विद्युत धारा उत्क्रमित होकर पथ DCBA के अनुदिश प्रवाहित होती है। इसका तात्पर्य यह है कि अब धारा D से C तथा B से A की ओर प्रवाहित होती है। इससे CD को नीचे की ओर तथा AB को ऊपर की ओर धकेला जाता है तथा परिणामस्वरूप कुण्डली निरन्तर घूर्णन करती रहती है।
सरल विद्युत मोटर | व्यापारिक विद्युत मोटर |
स्थायी चुम्बक प्रयुक्त होती है। | वैद्युत-चुम्बक प्रयुक्त होती है। |
कुण्डली में फेरों की संख्या कम होती है। | कुण्डली में फेरों की संख्या अधिक होती है। |
नर्म लोहे की क्रोड (छड़) का प्रयोग नहीं किया जाता है। | मोटर की सामर्थ्य बढ़ाने के लिए नर्म लोहे की क्रोड (छड़) पर तार को लपेटकर, कुण्डली बनाई जाती है। |