एल्युमीनियम की एक छोटी छड़ (लगभग 5 सेमी. लम्बी) लीजिए। चित्रानुसार इस छड़ को दो संयोजक तारों द्वारा किसी स्टैण्ड से क्षैतिजतः लटकाइए।
एक प्रबल नाल चुम्बक इस प्रकार से व्यवस्थित कीजिए कि छड़ नाल चुम्बक के दो ध्रुवों के बीच में हो तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा उपरिमुखी हो। ऐसा करने के लिए नाल चुम्बक का उत्तर ध्रुव एल्युमीनियम की छड़ के ऊर्ध्वाधरत नीचे एवं दक्षिण ध्रुव ऊर्ध्वाधरतः ऊपर रखिए (चित्रानुसार)।
ऐल्युमीनियम की छड़ को एक बैटरी, एक कुंजी तथा एक धारा नियन्त्रक के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित कीजिए। एल्युमीनियम छड़ में सिरे B से A की ओर विद्युत धारा प्रवाहित कराइए।
हम देखते हैं कि विद्युत धारा प्रवाहित होते ही छड़ बाईं दिशा में विस्थापित हो जाती है।
अब छड़ में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कीजिए और छड़ में विस्थापन की दिशा नोट कीजिए। अब यह दाईं ओर विस्थापित होती है।
इस प्रयोग में, धारा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा परस्पर लम्बवत् होते हैं। ऐल्युमीनियम की छड़ की गति की दिशा धारा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है।
फ्लेमिंग का वामहस्त (बायें हाथ) का नियम- इस नियम के अनुसार, अपने बायें हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अंगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लम्बवत् हों। यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।