किसी तारे की त्रिज्या $r$ है। यदि इसकी बाहरी सतह $TK$ ताप की कृष्णिका की भाँति ऊष्मा विकसित करती है तो, इसके केन्द्र से $R$ दूरी पर, प्रति इकाई क्षेत्रफल द्वारा, आपतन की दिशा के लम्बवत्, प्राप्त कुल विकिरण ऊर्जा है
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यदि, किसी ऊष्मीय युग्म के ठंडे जोड़ को $0^{\circ} C$ पर और गरम जोड़ को $T ^{\circ} C$ पर रखा जाये तो इस युग्म के लिये उदासीन $($न्यूट्रल$)$ ताप $\left( T _{ n }\right)$ और प्रतिलोमन (इनवर्शन) ताप $\left( T _{ i }\right)$ का परस्पर सम्बन्ध होगा-
$1227^{\circ} C$ पर एक कृष्ण पिण्ड विकिरण उत्सर्जन करता है जिसमें अधिकतम विकिरण फ्लक्स घनत्व $5000 \mathring A $ के तरंगदैर्ध्य पर होता है। यदि इस पिण्ड का ताप $1000^{\circ} C$ से बढ़ा दिया जाए, तो अधिकतम विकिरण फ्लक्स घनत्व देखा जाएगा
$10^{\circ} C$ ताप के, 20 ग्राम जल में, $100^{\circ} C$ की वाष्प गुजरती है, जल का ताप $80^{\circ} C$ होने पर उपस्थित जल का द्रव्यमान कितना होगा? जल की विशिष्ट ऊष्मा $=1$ कैलोरी ग्राम ${ }^{-1}{ }^{\circ} C ^{-1}$ तथा वाष्प की गुप्त ऊष्मा $=540$ कैलोरी ग्राम ${ }^{-1}$ है।
पीतल (ब्रास) और स्टील की छड़ों के अनुदैर्घ्य प्रसार गुणांक्र क्रमशः $\alpha_1$ और $\alpha_2$ हैं। पीतल और स्टील की छड़ों की लम्बाइयां क्रमश: $1_1$ और $1_2$ हैं। यदि $\left(l_2-1_1\right)$ को सभी तापों के लिए समान बनाया जाये, तब नीचे दिए गए संबंधों में से कौन-सा सत्य है?
बर्फ का कोई टुकड़ा ऊँचाई $h$ से इस प्रकार गिरता है कि वह पूर्णत: पिघल जाता है। उत्पत्र होने वाली ऊप्मा का केवल एक-चौथाई भाग ही बर्फ द्वारा अवशोपित किया जाता है तथ बर्फ की समस्त ऊर्जा इसके गिरते समय ऊप्मा में रूपान्तरित हो जाती है। यदि बर्फ की गुप्त ऊप्मा $3.4 \times 10^5 J / kg$ तथा $g =10 N / kg$ है, तो ऊँचाई $h$ का मान है:
ताप की एक नई स्केल, जो रेखीय है, उसे $W$ स्केल का नाम दिया गया है। इस स्केल पर जल का हिमांक और क्वथनांक क्रमानुसार $39^{\circ} W$ और $239^{\circ} W$ है। जब सैल्सीअस स्केल पर ताप $39^{\circ} C$ होगा, तो नई स्केल पर ताप का मान होगा:
यह मानते हुए कि सूर्य $r$ त्रिज्या का गोलाकार बाहरी तल रखता है और तापमान $t^{\circ} C$ पर एक कृष्ण पिंड की तरह प्रकीर्णन करता है, सूर्य केन्द्र से $R$ दूरी पर आपतित किरणों से लम्ब दिशा में किसी एक मात्रक तल द्वारा प्राप्त की गई शक्ति होगी-