लोकसभा का एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष होता है, जिसका निर्वाचन लोकसभा सदस्य अपने में से ही करते हैं। अध्यक्ष लोकसभा की कार्यवाहियों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, और लोकसभा की कार्यवाहियों का संचालन करता है। इनका कार्यकाल सामान्यत: 5 वर्षों के लिए होता है । यह अपने पद पर तब तक बना रहता है जबतक कि नव-निर्वाचित लोकसभा अपने अध्यक्ष का चुनाव न कर ले।
लोकसभा के अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार निम्नलिखित हैं-
- सभापतित्व करना लोकसभा का अध्यक्ष बैठक का सभापतित्व करता है.। सभापतित्व करते हुए सदन में शांति एवं अनुशासन बनाये रखना उसी का दायित्व है।
- वाद-विवाद का समय निश्चित करना अध्यक्ष सदन के नेता से राय लेकर विभिन्न विषयों के संबंध में वाद-विवाद का समय निश्चित करता है।
- काम रोको प्रस्ताव-किसी भी सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर काम रोको प्रस्ताव लोकसभा में पेश करने की आज्ञा अध्यक्ष द्वारा ही दी जाती है।
- प्रवर समिति के अध्यक्षों की नियुक्ति-लोकसभा के अध्यक्ष _ही प्रवर समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है।
- बजट संबंधी भाषणों की सीमा निर्धारण करना—इसकी काल . सीमा का निर्धारण अध्यक्ष ही करता है।
- अन्य अधिकार-सदन को स्थगित करने, राष्ट्रपति तथा लोकसभा का माध्यम होना, सदस्यों के विशेषाधिकारों की रक्षा करना, संसदीय कार्यवाही से आपत्तिजनक शब्दों को हटाने का आदेश देना, संसद के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करना, तथा सभी विधेयकों का संचालन लोकसभा का अध्यक्ष ही करता है।