जो स्थान संघीय मंत्रिपरिषद् में प्रधानमंत्री का होता है, वही स्थान राज्यमंत्री परिषद में मुख्यमंत्री का होता है।
नियुक्ति- संविधान के अनुच्छेद 164 में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जायेगी लेकिन व्यवहार में राज्यपाल उसी व्यक्ति को मुख्य पद पर नियुक्त करता है जो विधानमंडल में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है। अगर किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता है उस परिस्थिति में राज्यपाल संयुक्त दल के नेता को मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त करता है।
मुख्यमंत्री के अधिकार एवं कार्य-
- मंत्रिमंडल का निर्माणमुख्यमंत्री ही मंत्रिमंडल का निर्माता होता है, राज्यपाल उस पर अपनी सहमति दे देते हैं और विभागों का बंटवारा भी मंत्रियों के बीच वही करता
- मंत्रीपरिषदका अध्यक्ष-मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष होता है और मंत्रिपरिषद की बैठक का सभापतित्व करता है।
- विधानसभा का नेतृत्व-बहुमत दल का नेता होने के कारण वह सदन का कुशल नेतृत्व भी करता है। सभी प्रशासनिक विभागों का निरीक्षण करता है तथा मंत्रियों के बीच किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर मुख्यमंत्री उस विवाद का निपटारा कर अन्तिम निर्णय देता है।
- नियुक्तियाँ-राज्यपाल एक औपचारिक प्रधान है। उसकी वास्तविक शक्ति का प्रयोग मुख्यमंत्री ही करता है। उसके कहने पर ही राज्यपाल किसी मंत्री को नियुक्त अथवा पदच्युत कर सकता है तथा विधान सभा को विघटित कर सकता है।
- राज्यपाल एवं मंत्रिपरिषद के बीच एक कड़ी का काम मुख्यमंत्री करते हैं। वह राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के सभी कार्यों की सूचना देता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि मुख्यमंत्री राज्य शासन का कप्तान है और राज्य मंत्रिमंडल में उसकी विशिष्ट स्थिति होती है।