भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति भारतीय संघ का प्रधान होता है। उनकी शक्तियाँ एवं कार्य निम्न हैं
(i) कार्यपालिका संबंधी अधिकार-राष्ट्रपति संघीय कार्यपालिका का प्रधान होता है। शासन. का सारा कार्य उन्हीं के नाम से होता है। कार्यपालिका के क्षेत्र में उसे निम्न अधिकार प्राप्त है-
(क) राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है, तथा प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है तथा उनके बीच कार्यों का बँटवारा करता है।
(ख) प्रधानमंत्री की सलाह से ही राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, चुनाव आयुक्त, राजदूतों, महालेखा परीक्षक, संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति करता है।
(ग) सेनाध्यक्षों की नियुक्ति राष्ट्रपति ही करते हैं।
(घ) राष्ट्रपति किसी देश के विरुद्ध युद्ध एवं शान्ति की घोषणा कर सकता है।
(ङ) भारतीय संघ के मुख्य कार्यपालक होने के नाते उसका दायित्व है कि वह सदैव प्रशासन पर निगरानी रखे।
(ii) विधायिका संबंधी कार्य-राष्ट्रपति को भारतीय संसद की बैठक बुलाने, स्थगित करने तथा लोकसभा भंग करने का अधिकार प्राप्त
राष्ट्रपति के प्रमुख कार्यों में अध्यादेश जारी करने का अधिकार है। राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हैं, इसके अतिरिक्त वित्त आयोग की नियुक्ति, धनविधेयक की मंजूरी आदि महत्वपूर्ण कार्य हैं ।
(iii) वित्तीय अधिकार-वार्षिक बजट तैयार करने तथा वित्तमंत्री के माध्यम से संसद में प्रस्तुत कराने का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है । कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के बिना संसद में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। राज्यों के बीच वित्त वितरण का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है। .
(iv) न्यायसंबंधी अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
राष्ट्रपति किसी अपराधी के फाँसी की सजा को माफ या आजीवन कारावास की सजा में बदल सकते हैं।
(v) संकट कालीन अधिकार-भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रपति को कुछ संकटकालीन शक्तियाँ सौंपी गई हैं । ।
(क) युद्ध तथा बाहरी आक्रमण के समय राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा कर सकते हैं।
(ख) राज्यों में संवैधानिक विफलता पर ।
(ग) भारत में वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर :
राष्ट्रपति के इस अधिकार का प्रयोग हमारे देश में 1962, 1971 एवं 1975 ई. में हुआ।