साधारण विधेयक को कानून बनने के पहले पाँच चरणों से गुजरना पड़ता है।
(i) प्रथम वाचन-साधारण विधेयक लोकसभा या राज्यसभा दोनों में से किसी एक सभा में उपस्थित किया जा सकता है। विधेयक उपस्थापित करनेवाले उस विधेयक के नाम और शीर्षक बताने के बाद विधेयक से संबंधित मुख्य बातों की चर्चा करते हैं।
(1) द्वितीय वाचन-इस स्तर पर यह तय होता है कि विधेयक को प्रवर समिति के पास विचार के लिए प्रस्तुत किया जाय अथवा जनमत हेतु इसे प्रस्तावित किया जाए । अथवा उस पर सदन से ही तुरंत विचार कर लिया जाय । इसमें संशोधन का सुझाव देती है।
(iii) तृतीय वाचन-तृतीय वाचन में विधेयक पर मतदान होता है। मतदान में बहुमत मिलने पर विधेयक पास समझा जाता है। तृतीय वाचन में विधेयक में कोई हेर-फेर नहीं किया जाता है।
(iv) दूसरे सदन में पेश करना-एक सदन में पारित होने के बाद विधेयक दूसरे सदन में प्रस्तुत किया जाता है। दूसरे सदन में भी विधेयक को उन्हीं सब स्तरों से गुजरना पड़ता है जैसे पहले सदन में गुजरा है। संयुक्त बैठक में बहुमत मिल जाता है क्योंकि लोकसभा में सदस्यों की संख्या अधिक होती है।
(v) राष्ट्रपति की स्वीकृति—दोनों सदनों से पारित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, जिसका स्वीकृति मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाता है। राष्ट्रपति चाहे तो विधेयक को संसद में पुन: विचार के लिए वापस कर सकते हैं । अगर संसद विधेयक की राष्ट्रपति के पास पुनः भेज देती है तो हस्ताक्षर करना अनिवार्य हो जाता है। इस तरह विधेयक कानून बन जाता है।