संविधान की धारा 74 में उल्लेख है कि राष्ट्रपति के कार्यों ‘ में सहायता एवं परामर्श देने के लिए एक मंत्री परिषद होगी जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा। प्रधानमंत्री के अधिकार एवं कार्य निम्नलिखित हैं
मंत्रीपरिषद् गठन करने का अधिकार-प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् का निर्माता, पालनकर्ता एवं विनाशकर्ता है। वह मंत्रियों की नियुक्ति करता है। उसकी इच्छा पर ही मंत्री मंत्री परिषद में बने रहते हैं।
वह मंत्रियों के बीच कार्यों का विभाजन करता है तथा उनके कार्यों पर निगरानी रखता है।
नीति निर्धारण का अधिकार-प्रधानमंत्री अपने सहयोगियों की सहायता से सरकार के लिए उच्चस्तरीय नीतियों का निर्धारण करता है ।
मंत्रीपरिषद और राष्ट्रपति के बीच की कड़ी-प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति के बीच कड़ी का काम करता है। मंत्री परिषद के निर्णय की सूचना प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को देता है तथा राष्ट्रपति के विचारों से मंत्रिपरिषद को अवगत कराता है।
मध्यस्थता का कार्य-दो मंत्रियों या विभागों के बीच अगर किसी बात को लेकर मतभेद उत्पन्न होता है, तो उसे सुलझाने में प्रधानमंत्री मदद करता है।
संसद संबंधी कार्य-लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होने के कारण प्रधानमंत्री का दायित्व बढ़ जाता है। वह लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। संसद में कार्यों का संचालन, समय निर्धारण इत्यादि में प्रधानमंत्री मुख्य भूमिका निभाता है।
नियुक्ति संबंधी अधिकार कार्यपालिका के क्षेत्र में जो अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है, उसका वास्तविक रूप से उपयोग प्रधानमंत्री करते हैं।
वैदेशिक मामले संबंधी-यह अधिकार अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रधानमंत्री महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । इसमें प्रधानमंत्री अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है।
संकटकालीन अधिकार-राष्ट्रपति को प्राप्त संकटकालीन अधिकारों का उपयोग प्रधानमंत्री ही करता है।
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