सिखों के सुधारवादी संगठन के रूप में सिंह सभाओं की स्थापना की गई। पहले 1873 में अमृतसर में तथा बाद में 1879 में लाहौर में भी सिंह सभा का गठन किया गया। इन सभाओं ने सिख धर्म को अन्धविश्वासों, जातीय भेदभाव और गैर-सिख आचरणों से मुक्त कराने का प्रयास किया। उन्होंने सिखों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जिसमें अक्सर आधुनिक ज्ञान के साथ-साथ सिख धर्म के सिद्धान्तों को भी पढ़ाया जाता था।