संसाधन का अर्थ-पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो कि मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है एवं जो कि आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, संसाधन कहलाती है।
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(i) व्यक्तिगत संसाधन- वे संसाधन जो कि निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। गाँवों में अनेक लोग भूमि के स्वामी होते हैं। शहरों में भी लोग भूखंड, मकानों एवं अन्य जायदाद के स्वामी होते हैं । बाग, चरागाह, तालाब और कुओं का जल आदि संसाधनों के निजी स्वामित्व के कुछ उदाहरण हैं।
(ii) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन- वे संसाधन जो कि समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन होते हैं। गाँव में चारण भूमि, श्मशान भूमि, तालाब तथा नगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल और खेल के मैदान, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन हैं।
(iii) राष्ट्रीय संसाधन- तकनीकी रूप से देश में पाए जाने वाले समस्त संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं। देश की सरकार को कानूनी अधिकार होता है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिग्रहित कर सकती है। इसीलिए सड़कें, नहरें और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व वाले खेतों में भी बनी हुई होती हैं।
(iv) अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन- कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनों को नियंत्रित करती हैं। तट रेखा से 200 समुद्री मील की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनों को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता है। ये अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन होते हैं।