लेटराइट मृदा के क्षेत्र-लेटराइट मृदा अधिकतर दक्षिणी राज्यों, महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट क्षेत्रों ओडिशा, पश्चिम बंगाल के कुछ भागों तथा उत्तर-पूर्वी प्रदेशों में पाई जाती है।
लेटराइट मृदा की विशेषताएँ-
लेटराइट मृदा का निर्माण उष्णकटिबंधीय तथा उपोषण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों में आर्द्र तथा शुष्क ऋतुओं के एक के बाद एक आने के कारण होता है।
यह भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन (leaching) का परिणाम है।
लेटराइट मृदा अधिकतर गहरी तथा अम्लीय (pH < 6.0) होती है।
इसमें सामान्यतः पौधों के पोषक तत्वों की कमी होती है।
जहाँ इस मिट्टी में पर्णपाती और सदाबहार वन मिलते हैं, वहाँ इसमें ह्यूमस पर्याप्त रूप में पाया जाता है, लेकिन विरल वनस्पति और अर्ध शुष्क पर्यावरण में इसमें ह्यूमस की मात्रा कम पाई जाती है।
स्थलरूपों पर उनकी स्थिति के अनुसार उनमें अपरदन तथा भूमि-निम्नीकरण की संभावना होती है।
मृदा संरक्षण की उचित तकनीक अपना कर इन मृदाओं पर कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में चाय और कॉफी उगाई जाती हैं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल की लाल लेटराइट मृदाएँ काजू की फसल के लिए अधिक उपयुक्त हैं।