1923 में चितरंजन दास देशबन्धु तथा पं. मोतीलाल नेहरू ने स्वराज दल की स्थापना की। स्वराज पार्टी के निम्नलिखित उद्देश्य थे-
प्रान्तीय परिषदों में रहते हुए ब्रिटिश नीतियों का विरोध करना।
सुधारों की वकालत करना।
यह दिखलाना कि ये परिषदें लोकतांत्रिक संस्थाएँ नहीं हैं तथा स्वराज प्राप्त करना।
स्वराज दल ने परिषदों में शोषणकारी, अन्यायपूर्ण तथा दमनकारी कानूनों का विरोध किया और स्वराज के लिए प्रबल माँगें उठाईं।
इस प्रकार स्वराज दल ने एक स्वस्थ विरोधी दल के रूप में सराहनीय भूमिका निभाई। इसने राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिशील बनाया।