महात्मा गांधी का मानना था कि अस्पृश्यता (छुआछूत) को खत्म किये बिना सौ साल तक भी स्वराज की स्थापना नहीं की जा सकती। अतः दलितों को उनके अधिकार दिलाने हेतु उन्होंने निम्न कार्य किये-
महात्मा गांधी ने 'दलितों' को ईश्वर की संतान बताया।
उन्हें मंदिरों, सार्वजनिक तालाबों, सड़कों और कुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया।
मैला ढोने वालों के काम को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए वे खुशौचालय साफ करने लगे।
महात्मा गांधी ने ऊँची जातियों का आह्वान किया कि वे अपना हृदय परिवर्तन करें और 'अस्पृश्यता के पाप' को छोड़ें।