असहयोग आंदोलन में विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया। इससे विदेशी कपड़ों के आयात में कमी आई।
विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया।
इस आंदोलन के दौरान लोग केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे। इससे भारतीय मिलों और हथकरघों का उत्पादन बढ़ने लगा।
कई व्यापारियों और उद्योगपतियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने तथा विदेशी व्यापार में पैसा लगाना बन्द कर दिया।