दलितों के प्रसिद्ध नेता डॉ. अम्बेडकर ने दलितों के लिए विधानसभाओं में पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था करने की माँग की थी। 1932 में ब्रिटिश प्रधानमन्त्री मैक्डानल्ड ने अपना प्रसिद्ध साम्प्रदायिक पंचाट घोषित किया, जिसके अनुसार दलितों के लिए भी पृथक् निर्वाचिका की व्यवस्था की गई। गांधीजी ने इसका विरोध किया और आमरण अनशन पर बैठ गए। अन्त में डॉ. अम्बेडकर तथा गांधीजी के बीच एक समझौता हो गया जिसे 'पूना पैक्ट' कहते हैं। इसके अनुसार दलित वर्गों को प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधान परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गईं परन्तु उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होना था।